Vaishno Devi Ke Bhajan

0

Vaishno Devi Mandir is one of the most sacred Hindu shrines in India. It is situated in the Trikuta Mountains in Katra, Jammu. Here we have collected the best Vaishno Devi Ke Bhajan and Vaishno Devi ki aarti song lyrics in Hindi.

Vaishno Devi Ke Bhajan & Aarti Lyrics

Maa Vaishno Devi ke Bhajan and Aarti Song with lyrics in Hindi.

Vaishno Mata ki Aarti in Hindi

ॐ जय वैष्णवी माता,
मैया जय वैष्णवी माता,
हाथ जोड़ तेरे आगे,
आरती मैं गाता,
ॐ जय वैष्णवी माता।

शीश पे छत्र विराजे,
मूरतिया प्यारी,
गंगा बहती चरनन,
ज्योति जगेन्यारी,
ॐ जय वैष्णवी माता।

ब्रह्मा वेद पढ़े नितद्वारे,
शंकर ध्यानधरे,
सेवक चंवरडुलावत,
नारद नृत्यकरे,
ॐ जय वैष्णवी माता।

सुन्दर गुफा तुम्हारी,
मन को अतिभावे,
बार-बार देखन को,
ऐ माँ मनचावे,
ॐ जय वैष्णवी माता।

भवन पे झण्डा झूलें,
घंटा ध्वनि बाजे,
ऊँचा पर्वत तेरा,
माता प्रिय लागे,
ॐ जय वैष्णवी माता।

पान सुपारी ध्वजा नारियल,
भेंट पुष्प मेवा,
दास खड़े चरणों में,
दर्शन दो देवा,
ॐ जय वैष्णवी माता।

जो जन निश्चय करके,
द्वार तेरे आवे,
उसकी इच्छा पूरण,

माता हो जावे,
ॐ जय वैष्णवी माता।

इतनी स्तुति निश-दिन,
जो नर भी गावे,
कहते सेवक ध्यानू,
सुख सम्पत्ति पावे,
ॐ जय वैष्णवी माता,
मैया जय वैष्णवी माता,
हाथ जोड़ तेरे आगे,
आरती मैं गाता,
ॐ जय वैष्णवी माता।

Vaishno Mata ke Bhajan Aarti in Hindi

Vaishno Devi Ke Bhajan Aarti by Shemaroo Bhakti

Watch This Video for Vaishno Devi ke Bhajan 

Vaishno Devi Ji ke Bhajan song in Hindi

लेके पूजा की थाली ज्योत मन की जगाली
तेरी आरती उतारूँ भोली माँ

तू जो दे दे सहारा सुख जीवन का सारा
तेरे चरणों पे वारूँ भोली माँ
ओ माँ.. ओ माँ..

लेके पूजा की थाली ज्योत मन की जगाली
तेरी आरती उतारूँ भोली माँ

तू जो दे दे सहारा सुख जीवन का सारा
तेरे चरणों पे वारूँ भोली माँ
ओ माँ.. ओ माँ..

धूल तेरे चरणों की लेकर माथे तिलक लगाया
हो.. धूल तेरे चरणों की लेकर माथे तिलक लगाया
यही कामना लेकर मैया द्वारे तेरे मैं आया

रहूँ मैं तेरा हो के तेरी सेवा में खोके सारा जीवन गुजारूं भोली माँ

तू जो दे दे सहारा सुख जीवन का सारा तेरे चरणों पे वारूँ
भोली माँ ओ माँ.. ओ माँ..

सफल हु आये जनम के मैं था जन्मों से कंगाल
हो.. सफल हु आये जनम के मैं था जन्मों से कंगाल
तू ने भक्ति का धन दे के कर दिया मालामाल

रहे जब तक ये प्राण करूं तेरा ही ध्यान
नाम तेरा पुकारूँ भोली माँ

तू जो दे दे सहारा सुख जीवन का सारा
तेरे चरणों पे वारूँ भोली माँ
ओ माँ… ओ माँ…

लेके पूजा की थाली ज्योत मन की जगाली
तेरी आरती उतारूँ भोली माँ

तू जो दे दे सहारा सुख जीवन का सारा
तेरे चरणों पे वारूँ भोली माँ
ओ माँ.. ओ माँ…

Vaishno Devi Aarti Live Darshan by T-Series Bhakti Sagar

Vaishno Devi ji ki Kahani (गाथा) in Hindi

माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ पावन कथा सुनाता हूँ 
त्रेतायुग की ये सत्य कथा तुम्हे आज सुनाता हूँ तुम्हे आज सुनाता हूँ

किस लिए धरा पे आयी माँ सत्य बताता हूँ मै वो सत्य बताता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 

कोरस:- लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्री राम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्रीराम

1. वैष्णो माँ का जन्म हु आक्यों सुनो लगाकर ध्यान 
ये अनुपम गाथा सुने से होगा हर कल्याण 
होगा हर कल्याण 

श्री राम वन गम न हुआ था तैरता की है बात 
असुर का प्रकोप था जग में बिगड़े थे हालात 
जग में बिगड़े थे हालात 
एक नगर था सुंदर सा था राजा रत्न सागर 
माँ वैष्णवी ने जन्म लिया है उस राजा के घर पर 
जन्म लिया है उस राजा के घर पर 

रूप अलौकिक चंदे बदन सा उसका मुखमंडल 
काले केश कपोल गोल और नैना थे उज्वल 
और नैना थे उज्वल 

यहाँ से माँ की दिव्य कथा तुमको समझता हूँ तुम को समझता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ

लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्रीराम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्री राम 

2. रत्न सागर के आंगन कन्या का जन्म हुआ 
राज हुआ आनंदित सारा राजा धन्य हुआ 
सारा राजा धन्य हुआ 

स्वर्ण लता सी थी वो कन्या रूप मनोहर था 
चेहरे पर था तेज सूर्य का रूप मनोहर था 
सूर्य का रूप मनोहर था 

चंद्र किरण सी आभा वाली छवि निराली थी 
पता नहीं रत्न सागर को शेरो वाली थी 
वो शेरो वाली थी 

रूप बड़ी गुणवान बड़ी और वेदो की ज्ञाता 
बाल रूप से युवा हो गई वो वैष्णो माता 
हाँ वो वैष्णो माता 

इसके आगे क्या होता मै बतलाता हूँ मै बतलाता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्री राम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्री राम 

3. यज्ञ हवन करवाता था वो राजा रत्नसागर 
और शिकार भी करता था वो जंगल में जाकर 
वो जंगल में जाकर 

सो कथा ये रत्नसागर का बड़ा शिकारी था 
रोज मारता पशु पक्षी को अत्याचारी था 
वो अत्याचारी था 

अपने पिता की आदत ये कन्या को बुरी लगी 
एक रोज वो कन्या अपने पिता से कहने लगी 
अपने पिता से कहने लगी 

क्यों करते हो वध पशुओं का पाप कमाते हो 
इन मासूमो के ऊपर क्यों दया ना खाते हो 
क्यों दया ना खाते हो 

कन्या की बातो का उस पर असर दिखता हूँ उस पर असर दिखता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ

लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्रीराम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्रीराम 

4. पुत्री की बाते सुनकर वो करने लगा विचार 
वध ना करूँगा अब मै किसी का फेक दिया हथियार
हाँ फेक दिया हथियार

उसी रोज रत्नसागर ने किया है ये एलान 
नहीं शिकार करेगा कोई नहीं लेगा अबजान 
कोई नहीं लेगा अबजान 

वैष्णो धर्म का यही से भक्तो जग में उदय हुआ 
दया धर्म का जन्म हुआ और पाप का विलय हुआ 
और पाप का विलय हुआ 

वैष्णो माँ ने वैष्णो धर्म की नीव यही डाली 
बन गई उस राजा की पुत्री माँ वैष्णो वाली 
पुत्री माँ वैष्णो वाली 

ओ अब प्रभु रामचंद्र से तुम्हे मिलता हूँ मै तुम्हे मिलता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्री राम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्रीराम 

5. श्रीराम और भरत लक्ष्मण भट कर हेवन में 
दसरथ ने वनवास दिया तुम जाके रहो वन में 
तुम जाके रहो वन में 

असुरो का कर नाश राम ने ऋषि मुनि त्रासहरा 
असुर गए सुर लोक सभी फिर पावन हुयी धरा 
फिर पावन हुयी धरा 

कंद मूल फल खाते हैं और कुटी में रहते है 
तीनो ही प्रसन्न मगन मन ख़ुशी में रहते है 
मन ख़ुशी में रहते है 

वन में रहते वन में विचरते कई वर्ष बीता 
कैसा था दुर्भागय राम का चोरी हुयी सीता 
राम का चोरी हुयी सीता 

फिर आगे अब क्या होता वो बतलाता हूँ मै वो बतलाता
माँ वैष्णो देवी प्रभुराम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ

लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्रीराम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्रीराम 

6. इधर देखिये उस पुत्री के मन में क्या आया 
दिल में उठा वैराग था उसके माँ से बतलाया 
उसके माँ से बतलाया 

हाथ जोड़ कर पुत्री बोली माता से अपनी 
मुझे तपस्या की आज्ञा दो विनती है इतनी 
तुम से विनती है इतनी 

मन में जगा अनुराग है तप का जाउंगी वन में 
दे दो ये आशीष मुझे तप करूंगी जीवन में 
तप करूंगी जीवन में 

सुन पुत्री की बात कलेजा काँप उठा माँ का 
कैसे देती आज्ञा था माँ बेटी का नाता 
माँ बेटी का नाता 

हालत क्या थी उस माँ की तुम को दिखलाता हूँ मैं तुमको दिखलाता
माँ वैष्णो देवी प्रभुराम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्री राम 

पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्रीराम 

7. सूनी जो बात पिता ने साड़ी चिंतित हुआ बड़ा 
लगा देख ने मुँह पुत्री का राजा खड़ा खड़ा 
देखा राजा खड़ा खड़ा 

प्यार से बोलै राजा सागर सुनो बिटिया रानी 
जंगल में खाना ना मिलेगा मिलेगाना पानी 
कही मिलेगा ना पानी 

जंगल में विचरण करते है हिंसक पशुप्राणी 
छोड़ दो हट तुम तप करने की करो ना मनमानी 
तुम करो ना मनमानी 

तप करने की अभी तुम्हारी उम्र नहीं आयी 
सदा रही हो महल में तुमने धुप नही खायी 
तुमने धुप नही खायी 

तप की हट तुम छोड़ दो बेटी मै समझता हूँ बेटी मै समझता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ

लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्रीराम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्रीराम 

8. नरम स्वरों में बोली बालिका सुनो हमारी बात 
किस कारन मेरा जन्म हुआ है मुझे है सब कुछ याद 
हाँ मुझे है सब कुछ याद 

विधि का जो है विधान पिता जी होने दो उसको 
दे दोआज्ञा वन जाने की जाने दो मुझको 
वन जाने की जाने दो मुझको 

करू तपस्या वन में जाकर मन में आता है 
मेरी चिंता छोड़ साथ मेरे भाग विधाता है 
साथ मेरे भाग विधाता है 

लाख मनाया माता पिता ने चली नहीं उनकी 
दे दीआज्ञा उन्होंने देखो वन में जाने की 
हाँ वन में जाने की 

कहाँ पहुँचती है वो बेटी ये दिखलाता हूँ तुमको ये दिखलाता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभुराम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्रीराम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्रीराम 

9. छोड़ महल के सुख वैभव वो लगा प्रभु का ध्यान 
पहुंच गई एकांतवास में सागर के दरमियान 
हाँ सागर के दरमियान 

राम नाम में लीं हुयी माँ राम ही सुबह हो शाम 
राम नाम के सिवा नहीं था जग जननी को काम 
नहीं था जग जननी को काम 

भोजन पानी छोड़ दिया सब करे नहीं विश्राम 
राम नाम में लीं हुयी माँरा मही सुबह हो शाम 
माँ राम ही सुबह हो शाम 

कठिन तपस्या करते करते कई वर्ष गए बीत 
लगी समाधी राम नाम की लगी राम से प्रीत 
हाँ लगी राम से प्रीत 

सुनो ध्यान से आगे पावन कथा बढ़ता हूँ पावन कथा बढ़ता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ

लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्रीराम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्रीराम 

10. राम लखन सीता की खोज में सागर तट आये 
कठिन साधना करते देख उसे दोनों चकराए 
देख उसे दोनों चकराए 

चंद्र स्वरुप अनूप बालिका हुयी साधना लीं 
देख के उसकी कठिन तपस्या राम हुए गमगीन 
देखो राम हुए गमगीन 

पास जाकर बोले राम जी आंखे तो खोलो 
इस आयु में कठिन तपस्या का कारन बोलो 
तपस्या का कारन बोलो 

कोमल बदन है अलप आयु है भया वह वीराना है 
आंखे खोलो हे मृग नैनी बोलो क्या मन ठाना है 
बोलो क्या मन ठाना है 

फिर कन्या ने कहा जो उन से मै तुम्हे सुनाता हूँ मै तुम्हे सुनाता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभुराम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्रीराम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्रीराम 

11. आंखे खुली जो इस कन्या की हुयी हैरान 
खड़े सामनेरा प्रभु गई उन्हें पहचान 
देखो गई उन्हें पहचान 
नतमस्तक हो हाथ जोड़कर बोली मधुर वाणी 
पाऊं मै तुम्हे पति रूप में मन में है ठानी 
हाँ मन में है ठानी 

कृपा करके वर लो मुझ को यही कामना मेरी 
माँ चुकी हूँ पति मै तुमको ना ना थक रो देरी 
ना ना थक रो देरी 

मुस्काये प्रभु श्रीराम जी बोले मृदुवाणी 
मेरा व्याह हुआ है मेरी सीता पटरानी 
मेरी सीता पटरानी 

समझाते हैं राम उन्हें कैसे बतलाता हूँ  कैसे बतलाता हूँ  
माँ वैष्णो देवी प्रभुराम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्रीराम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्रीराम

12. प्रभु राम फिर बार बार उनको समझाते हैं 
कैसे मिलेंगे पति रूप में मार्ग बताते हैं 
हाँ मार्ग बताते हैं 

कलकी रूप में मै कलयुग में जब लूंगा अवतार 
वरन करूँगा पत्नी रूप में देखेगा संसार 
हां देखेगा संसार 

करो प्रतीक्षा तब तक मेरी शिखर त्रिकूट जाओ 
वहां पे रहके वैष्णो धर्म का परचम लहराओ 
धर्म का परचम लहराओ 

वैष्णो माँ के नाम से होगी दुनिया में पहचान 
बैठ गुफा में तब तक सबका करती रह कल्याण 
सबका करती रह कल्याण 

तुम भी करो प्रस्थान मै सीता खोज में जाता हूँ सीता खोज में जाता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभुराम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्रीराम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्रीराम

13. विख्यात हुआ यही से भक्तो माँ वैष्णो का नाम 
चली गई माँ पवन वेग से पावन त्रिकूट धाम 
वेग से पावन त्रिकूटधाम 

सारे जगत में वैष्णो माँ की जय जय गूंजर ही 
माँ वैष्णो के नाम को सारी दुनिया पूज रही 
(कोरस :-  सारी दुनिया पूज रही)

बैठा गुफा में काली सरस्वती माँ वैष्णो रानी 
लंगूर वीर जी द्वार विराजे करते निगरानी 
देखो करते निगरानी 

शिखर के ऊपर भैरवनाथ का धुना सुलग रहा 
पर्वत ऊपर भैरोनाथ का चिमटा खड्ग रहा 
देखो चिमटा खड्ग रहा 

हाथ जोड़ सुख देवक हे माँ शीश झुकता हूँ माँ शीश झुकता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभुराम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
लो माँ वैष्णोजी का नाम बोल जय जय श्री राम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्री राम

Also Read: Vaishno Devi Story in English

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here